जो दूसरों के साथ जैसा करता है, भविष्य में उसके साथ भी वैसा ही होता है :: 2004 में मोदी जी ने जो बाजपेई जी के साथ किया था वैसा ही 2024 में योगी जी ने मोदी जी के साथ किया :: यूपी की जनता को समझ रहे थे बेवकूफ, प्रधानमंत्री गुजरात का, मुख्यमंत्री उत्तराखंड का :: जिसको परिवार चलाने का अनुभव नहीं बह न तो देश चला सकता न ही प्रदेश :: परिवारवाद का आरोप वही लगता है जिसका अपना परिवार नहीं होता :: इंदिरा जी 10 वर्ष तक सत्ता में रहीं थी, उन्होंने हारने के बाद आपातकाल लगा दिया था, और मोदीजी 22 साल से सत्ता में हैं, वह आसानी से कुर्सी खाली करने वाले नहीं हैं।
सातवें चरण का मतदान भी आज समाप्त हो रहा है ,सातवें चरण का चुनाव प्रचार थमते ही प्रधानमंत्री ने भगवा वस्त्र धारण कर संन्यास ले लिया और एकांतवास पर तपस्या करने चले गए, तो दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन के नेताओं ने आज दिल्ली में एक बैठक कर किसी नई रणनीति पर निर्णय लिया होगा। मतदान समाप्त होते ही एग्जिट पोल का दौर प्रारंभ हो जाएगा प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सर्वे सत्ता पक्ष की तरफ तो सोशल मीडिया का सर्वे इंडिया गठबंधन को जीता हुआ दिखाएगा, क्योंकि दोनों की अपनी-अपनी आर्थिक मजबूरियां हैं। सत्ता का स्वाद बडा़ माकूल होता है, जो एक बार चख लेता है उसे बगैर सत्ता का जीवन समाप्त प्राय: सा लगता है। सत्ता और समय दोनों परिवर्तनशील होते हैं, लेकिन सत्ता जिसे मिल जाती है वह आसानी से नहीं छोड़ता परंतु उसे छोड़ना ही पड़ता है ऐसा भारत में ही नहीं विदेशों में भी हुआ है। वर्तमान युग इतना तेजी से आगे बढ़ रहा गया है कि अब एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल की आवश्यकता ही नहीं रही। मतदाता वोट देकर आता है तो पोलिंग बूथ के बाहर खड़ा पत्रकार तपाक से उससे पूछ लेता है कि मतदान का मुद्दा क्या था ? इसके अलावा इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे साधनों के माध्यम से सीधे तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस चुनाव में कौन जीत रहा है। चुनाव परिणाम आने में मात्र 2 दिन का समय शेष है लेकिन पक्ष और पक्ष दोनों भले ही अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हों लेकिन सत्ता पक्ष की हताशा यह बता रही है कि विपक्ष का दावा मजबूत है। सत्ता पक्ष की बदजुबानी, दबंगई और दूसरों के प्रति कड़वे बोल ने इस बार जनता का ध्यान ही पलट दिया है। जिस सत्ता पक्ष को अपने 10 वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियों के आधार पर वोट मांगना चाहिए था वह कुछ भी नहीं, इसलिए राम मंदिर, अयोध्या ,काशी और कश्मीर के सभी मुद्दे बेकार चले गए। यह राम को लाए थे और भगवान जगन्नाथ से भी मोदी जी बड़े हो गए तो जनता ने समझ लिया कि अब सत्ता का सुख बर्दाश्त नहीं हो रहा है। शेष इनके बिगड़े बोल ने काम खराब किया कि मंगलसूत्र पर नजर ,भैंस खोल लेंगे, अडानी अंबानी टेंपो में पैसे भरकर नोट कांग्रेस के पास भेज रहे हैं । इन दो आदमियों के अलावा न तो बीजेपी या संघ में किसी का सम्मान बचा न ही किसी की कोई अहमियत है। स्वयं पार्टी अध्यक्ष नड्डा ने भी आरएसएस के विषय में अशोभनीय टिप्पणी की। यूपी पर कब्जा करने के लिए पहले सपा के दो टुकड़े किए, फिर योगी की नाक में नकेल डालने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ा, जो जाति उठती हुई देखी उसी को बर्बाद कर दिया। पहले यादवों को बर्बाद किया, बाद में जाटों का नामोनिशान यूपी- हरियाणा से समाप्त कर दिया, एक आदिवासी मुख्यमंत्री, एक बनिया मुख्यमंत्री को जेल भेज दिया ,बाद में ठाकुरों के इतने पेज कसे की नट और बोल्ट दोनों की चूड़ियां फेल हो गयीं । देखा जाए तो भाजपा को किसी ने हराया नहीं अपने ही दुष्कर्मों का शिकार होकर हार रही है ,अब भी धनबल के सहारे सरकार बनाने के मंसूबे सजाये बैठी है, देखना है कि देश की सत्ता बदलेगी या संविधान बदलने वालों को ही संबल मिलेगा
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