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कलयुग की वैतरिणी

भागवत कथा कलियुग की वैतरिणी है , जिसके श्रवण एवं अनुसरण से मानव का कल्याण हो जाता है :: धनार्जन करना समय और जीवन की आवश्यकता है, लेकिन मिलावट और धोखाधड़ी से कमाया गया धन न तो देश के काम आता न ही परिवार के :: मेहनत और ईमानदारी का फल मीठा होता है, जबकि मिलावटखोरी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनती है :: मनुष्य योनि सृष्टि के संरक्षण और संवर्धन के लिए बनाई गई है, स्वार्थ त्यागें और समाज हित में जीवन समर्पित करें :: भारत के भाग्य का विधाता बनकर विश्व का कल्याण करें, यही कथा श्रवण का हेतु है।

हरिद्वार । श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परम अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि संतों के सानिध्य में सद्बुद्धि का संचार होता है जिससे समाज में समरसता का वातावरण बनता है, और सर्वे भवंतु सुखिनः की परिकल्पना साकार होती है । वे आज श्रीगीता विज्ञान आश्रम ट्रस्ट के तत्वावधान में राजा गार्डन स्थित श्री हनुमान मंदिर सत्संग हॉल में गुरुपूजा महोत्सव के उपलक्ष में विश्व कल्याण हेतु आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के अवसर पर श्रद्धालुओं को धर्म के सापेक्ष आचरण करने की ज्ञान दीक्षा दे रहे थे। श्रीमद् भागवत को भवसागर की वैतरिणी बताते हुए उन्होंने कहा कि सत्संग का उद्देश्य समाज का कल्याण होता है और संतों के श्रीमुख से निकला एक-एक शब्द समाज उत्थान का मंत्र बनता है। सृष्टि में हुए 24 अवतारों की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब धर्म की हानि होती है और असुर तथा अभिमानियों की संख्या बढ़ती है तो भगवान यथायोग्य स्वरूप में अवतरित होकर लोक का कल्याण करते हैं। समाज को जिस रूप में भगवान की आवश्यकता होती है वे उसी रूप में अवतरित होते हैं, इसीलिए भगवान के अवतारों में दो जलचर, दो वनचर,चार ब्राह्मण और दो क्षत्रिय अवतारी हुए हैं, शेष अंशावतार हैं । समयकाल और स्थितियों के अनुकूल त्रेता और द्वापर युग में भगवान ने क्षत्रियकुल राजपरिवार तथा मानव रूप में अवतरित होकर सृष्टि का कल्याण किया, इसीलिए इन दो अवतारों के मंदिर हैं और उनकी पूजा आचरण और चरित्र के आधार पर होती है । वर्तमान समय में समाज में फैल रही सामाजिक विसंगतियों को रोकने का आवाहन करते हुए उन्होंने कहा कि समाज में स्वार्थ की भावना इतनी बढ़ गई है कि अधिक लाभ अर्जित करने की चाहत ने अनाज, फल और सब्जी ही नहीं बल्कि जहरीला चारा खाने से गोदुग्ध की गुणवत्ता में भी गिरावट आई है, परिणाम स्वरुप 70% आवादी औषधियों पर आधारित जीवन व्यतीत कर रही है। सभी भक्तों को खान-पान और रहन-सहन में सुधार करने की हिदायत देते हुए कहा कि मानव तन प्रकृति की अनमोल धरोहर है, इसको स्वस्थ और चिरायु बनाने के लिए हमें स्वयं प्रयास करने होंगे । इससे पूर्व कथा के मुख्य यजमान ने सभी श्रोताओं के साथ व्यास पीठ का पूजन कर विश्व कल्याण की कामना की तथा कथाव्यास को व्यासपीठ पर आसीन किया । श्रीमद् भागवत की अमृत वर्षा प्रतिदिन सायंकाल 4 से 7:00 बजे तक अविरल रहेगी जिसमें अन्य संतों के आशीर्वचनों से लाभान्वित होने का श्रद्धालुओं को सौभाग्य प्राप्त होता रहेगा।

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