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श्रेष्ठ संतान प्राप्त करें

सुख ,शांति और वैभव प्राप्ति का सोपान है श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन एवं श्रवण :: तीर्थ स्थल,गंगा तट और गौशाला में आयोजित अनुष्ठान का पुण्यफल 100 गुना अधिक होता है :: आशीर्वाद और मंत्र सृष्टि से अवतारी महापुरुषों का जन्म होता था, मैथुन सृष्टि के मानक और पवित्रता का पालन किया जाए तो आज भी श्रेष्ठ संतान ही प्राप्त होगी :: सत्यनिष्ठा एवं कर्मयोग के साथ यदि दांपत्य जीवन का निर्वाह किया जाए और गृहस्थ जीवन के मानकों को स्थापित रखा जाय तो निश्चित ही सुयोग संतान की प्राप्ति ही होती है।

हरिद्वार । महानिर्वाणी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती जी महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत दरिद्रता को दूर करने का साधन है जिसके श्रवण से पापों का नाश और पितरों को मोक्ष मिलता है । ज्ञान ही परम पवित्र है जिसकी प्राप्ति सद्गुरु से होती है, क्योंकि गुरु ही अपने शिष्य को भगवान से मिलाने का काम करते हैं । वे आज राजा गार्डन स्थित श्रीहनुमान मंदिर सत्संग हॉल में श्रीगीता विज्ञान आश्रम ट्रस्ट द्वारा आयोजित भागवत कथा में श्रद्धालुओं को आशीर्वचन दे रहे थे। श्रीगीता विज्ञान आश्रम की धर्म एवं समाज सेवाओं की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए निर्वाण पीठाधीश्वर स्वामी विशोकानंद भारती ने कहा कि गंगा तट और गौशाला में आयोजित सत्संग का पुण्यफल सौ गुना अधिक हो जाता है और आप सभी लोग बड़े भाग्यशाली हैं जिनको स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जैसे दिव्या संत के सानिध्य में गंगा स्नान, गौसेवा एवं सत्संग का लाभ एक साथ प्राप्त हो रहा है । कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने द्वितीय स्कंध का रसपान कराते हुए कहा कि भगवान सत्यनिष्ठा और सच्चे प्रेम से प्राप्त होते हैं ,भगवान का भक्त के प्रति प्रेम ही था कि दुर्योधन की माया त्याग कर विदुर का साग खाया, शबरी के बेर खाए और अर्जुन का रथ हांककर सिद्ध कर दिया कि वह सच्चे प्यार से ही प्रभावित होते हैं । राजा परीक्षित का वृतांत सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब उन्हें पता चला कि 7 दिन में उनकी मृत्यु हो जाएगी तो उन्होंने श्रीमद् भागवत का श्रवण किया और मृत्यु के समय होने वाले कष्ट से मुक्त हो गए। मंत्रसृष्टि और मैथुनसृष्टि का वृतांत सुनाते हुए कथाव्यास ने कहा कि मनु और शतरूपा के बाद ही मैथुनसृष्टि का निर्माण हुआ। श्रोताओं को जीवनोपयोगी उपाय बताते हुए उन्होंने कहा कि सूर्य उपासना ,योग क्रियाओं एवं प्राणायाम को दैनिक व्यवहार में सम्मिलित करने वाला सदैव स्वस्थ और चिरायु होता है। अंत में सभी श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ की आरती उतार कर विश्व कल्याण की कामना की।

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