Halat-E-India

जल संकट से जूझेगी जनता

पीने का पानी बनेगा भारत की सबसे बड़ी समस्या :: शहर ,कस्बों में हो रहा पेयजल का दुरुपयोग :: वर्षा जल संचित करना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता :: पूरे देश में पेयजल से हो रही फसलों की सिंचाई और वर्षा जल हो रहा बर्बाद :: सरकार और सरकारी मशीनरी को नहीं है जल संरक्षण की परवाह :: ग्रामीण पेयजल मिशन और मनरेगा से बनाए गए तालाबों में हुआ बड़ा गोलमाल :: रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों से प्रदूषित हो रहा भूगर्भ जल :: घर-घर बने शौचायलयों से 50 फुट की गहराई तक बिगड़ी पेयजल की गुणवत्ता:: मिनरल वाटर पीने पर मजबूर हो रही देश की जनता।

हरिद्वार । जलवायु परिवर्तन आज सबसे बड़ी समस्या बनता जा रहा है, लेकिन इस पर कंट्रोल करने की न तो सरकार को चिंता है न ही समाज को । बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण के साथ ही जल संकट गहराने लगा है, लेकिन वर्षा जल संरक्षण पर सरकार और सरकारी मशीनरी कुंभकरणी नींद में सोई हुई है। समय रहते जल संकट को नहीं रोका गया तो परिस्थितियों अति गंभीर हो जाएंगी। "जल ही जीवन है" और "वनों की सुरक्षा जीवन रक्षा" नमक स्लोगन तो बहुत जगह लिखे हुए मिल जाएंगे लेकिन इनके संरक्षण पर काम पांच प्रतिशत भी नहीं हो रहा है, यही हमारी सरकारों का चरित्र है। सत्ता और सरकारी नौकरी दो ऐसी चीजें हैं जिनको पाने के बाद व्यक्ति की सामाजिकता ही नहीं मानसिकता भी बदल जाती है, ऐसा एक दशक से सरेआम हो रहा है,और इसे रोकने के स्थान पर ऐसा करने वालों के अनुसरण कर्ताओं की संख्या बढ़ती जा रही है । हर व्यक्ति जानता है कि जो हो रहा वह गलत हो रहा, लेकिन वह बोलने या उसका विरोध करने की शक्ति नहीं अर्जित कर पा रहा है। संविधान और अनुशासन दो ऐसे आयाम हैं जिनका पालन सदैव अनुकरणीय रहा है ,जब भी या जहां भी इन दोनों चीजों की अनदेखी होती है वहीं से अनहोनी घटनाएं प्रारंभ हो जाती हैं। देश स्वतंत्र है, कहने को लोकतंत्र है, लेकिन वातावरण तानाशाही का है ।लोकतंत्र में जनता का हित और निर्णय दोनों ही सर्वोपरि होते हैं, लेकिन आजकल इसका उल्टा हो रहा है। जनता पर करों की भरमार कर राजनेता और व्योरोक्रेट्स अपनी सुविधाएं बढ़ा रहे हैं। जनता जिनको नकार देती है (चुनाव में हरा देती है) नेता या पार्टियां इस हारे हुए व्यक्ति को मुख्यमंत्री, मंत्री या उपमुख्यमंत्री बना देते हैं, यह संविधान और देश की जनता दोनों का अपमान है। राजनेताओं के लिए भी चुनाव लड़ने के कुछ मानक तय होने चाहिए तथा कुछ पात्रताएं होनी चाहिए, यह पात्रताएं छात्रों के लिए प्रवेश पर, नौकरी के लिए अभ्यर्थियों पर और बैंकों से लोन लेने वाले व्यवसायी तथा कृषक सभी पर लागू होती हैं लेकिन राजनेता कोई भी बन सकता है ऐसा क्यों ? आज इस लेख के माध्यम से हम केवल जल के सदुपयोग और उसे संरक्षित करने की चर्चा कर रहे हैं। आज सबसे बड़ी आवश्यकता वर्षा जल के संरक्षण की है । ग्रामीण क्षेत्र में प्राचीन काल से चले आ रहे तालाब और पोखर या तो अतिक्रमित हो गए हैं या मिट्टी भर जाने से उनकी गहराई समाप्त हो गई है, परिणाम स्वरुप तेज गति से होने वाली वर्षा का जल न तो जमीन के अंदर जाता है न ही तालाबों में संरक्षित होता है, वह बाढ़ का रूप धारण कर फसलों को नुकसान पहुंचता है और नदियों के माध्यम से समुद्र में चला जाता है। वर्षा जल संरक्षित न होने और भूगर्भ जल का आवश्यकता से अधिक दोहन होने से जमीन का वाटर लेवल लगातार डाउन हो रहा है। शहर एवं कस्बों के बाद गांव में घर-घर शौचालयों का निर्माण होने के बाद जमीन के अंदर 50 से 100 फुट तक का जल प्रदूषित हो गया है जो पीने योग्य नहीं रह गया। वर्तमान स्थिति में 100 फुट से अधिक 150 या 200 फुट तक के बोरिंग किए गए समरसेबल अथवा नगर पालिका या नगर निर्गमों के इससे अधिक गहरे बोरिंग का ही जल पीने योग्य होता है । कम गहराई के हैंड पंपों का जल अब पीने योग्य नहीं रह गया है, यही कारण है कि बड़े शहरों के बाद अब कस्बों और गांव में भी मिनरल वाटर (बोतल बंद पानी )का चलन बढ़ गया है। वर्षा जल के संरक्षण पर समय रहते यदि अमल नहीं किया गया तो पेयजल की समस्या इतनी विकराल हो जाएगी कि दूषित जल पीने से महामारी फैलनी प्रारंभ हो जाएगी। देश में लाई गई हरित क्रांति के बाद खेतों में प्रयोग की गई रासायनिक खादों और कीटनाशकों ने न केवल अनाज, फल और सब्जियों को जहरीला बनाया बल्कि जमीन के अंदर मौजूद 50 से 75 फुट तक के भूगर्भ जल को भी जहरीला और दूषित कर दिया है , जिससे नाना प्रकार की बीमारियां बढ़ रही हैं, और स्त्री पुरुष ही नहीं पशुओं की भी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। इस लेख के माध्यम से मेरा केंद्र एवं राज्य सरकारों से निवेदन है कि वर्षा जल संरक्षित करें और रासायनिक खादों एवं कीट नाशकों का प्रयोग प्रतिबंधित कर ऑर्गेनिक फार्मिंग प्रारंभ कराई जाए जिससे किसान भी खुशहाल होंगे और देश की जनता भी स्वस्थ एवं निरोगी बन सकेगी ।

About Us

Halat-e-India is the leading news agencey from Haridwar, Uttrakhand. It working in all over Uttrakhand and near by states UttarPradesh, Punjab, Haryana, Delhi, Himachal Pradesh. Reporters of Halat-e-India are very dedicated to their work.

Important Links