Halat-E-India

जनता के धन का दुरुपयोग

वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने में होती है बजट खपाने की खानापूर्ति ::बढ़ता भ्रष्टाचार गुलामी का प्रतीक है:: स्वार्थ लिप्सा और भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगी तो सरकार से उठ जाएगा जनता का विश्वास:: गांव को स्वायत्तता देने से ही होगा स्वतंत्रता का सपना साकार।

लोकतंत्र में जनता ही सरकार का चयन करती है और सरकार को चलाने के लिए विभिन्न करों का भुगतान कर राजस्व बनाती है । सरकारी मशीनरी की अनुशंसा के अनुरूप सरकार प्रतिवर्ष कर वृद्धि करती है, जिससे हर साल महंगाई दर 5 से 7% बढ़ जाती है । बढ़ी महंगाई की मार आम जनता पर पड़ती है और महंगाई भत्ता में वृद्धि सरकारी मशीनरी की होती है । सरकारी मशीनरी और जनप्रतिनिधियों ने अपने- अपने वेतन भत्ते बढ़ा लिए, कोई बात नहीं, लेकिन बढ़ता भ्रष्टाचार गुलामी और देश के धन की बर्बादी का पर्याय बन रहा है। सरकार जो योजनाएं जनता के लिए बनाती है उनमें भी खुली लूट और बंदरबांट होता है, यह मामला वर्तमान सरकार का नहीं बल्कि ब्यूरोक्रेसी आठवें दशक के बाद से ही भ्रष्ट हो गई थी, जो अब महाभ्रष्ट की श्रेणी में पहुंच गई है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ब्यूरोक्रेसी में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हुए कहा था कि हम ₹1 जनता के पास भेजते हैं तो वहां तक जाते-जाते वह 15-20 पैसे ही रह जाता है, इस पर संसद में बहस भी हुई थी तो यह कह कर मामले को शांत कर दिया था कि रूपया चलते चलते घिस जाता है । इसी कथन की पुष्टि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने भी की थी। बीसवीं सदी में जो रूपया 19 पैसे रह जाता था वह अब गिरकर और काफी निचले स्तर पर पहुंच गया है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लाई गई योजनाओं पर तो बड़े-बड़े मगरमच्छों का कब्जा होता है, उनमें गंगा स्वच्छता अभियान, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के अतिरिक्त नोटबंदी और कोरोना महामारी के नाम पर क्या-क्या हुआ यह सब उजागर हो चुका है। विडंबना यह कि जिला योजनाएं भी भरपूर बजट आने के बाद पूरी नहीं हो पाती है। विभाग द्वारा आवंटित धनराशि भी साल भर में खर्च नहीं हो पाती है और मार्च का महीना जो वित्तीय वर्ष का अंतिम महीना होता है उसी में लगभग आधा बजट समेट दिया जाता है। सरकार और सरकारी मशीनरी केंद्रीय एवं राज्य सरकार द्वारा आवंटित धनराशि का सदुपयोग करे तो विकास का ऐसा वातावरण बन सकता है कि पूरा देश और समाज वास्तविकता का अनुभव कर सकता है । हमारे संविधान में धन का दुरुपयोग रोकने के लिए व्यवस्था की गई है लेकिन सरकार इसका सदुपयोग नहीं कर पा रही है। भारत की कुल जनसंख्या का दो तिहाई भाग आज भी गांव में निवास कर रहा है और केंद्र तथा राज्य सरकारें ग्रामीण विकास पर जोर भी दे रही हैं , परंतु हमारा देश की आजादी के 75 वर्षों के बाद भी ग्रामीण विकास में आशातीत बदलाव नहीं ला पाया, इसके लिए कौन दोषी है? ग्रामीण विकास के लिए जनप्रतिनिधि हो या सरकारी तंत्र सभी में स्वार्थ की भावना बढ़ गई है, यदि सभी मिलकर अपने -अपने कर्तव्यों का पालन निष्ठा एवं ईमानदारी से करने लगें तो समाज के किसी भी वर्ग को अपने अधिकारों को प्राप्त करने की याचना नहीं करनी पड़ेगी । वर्तमान बजट 2023-24 में केंद्र एवं राज्य सरकारों ने ग्रामीण विकास पर पूरा जोर दिया है इसका क्रियान्वयन भी ईमानदारी के साथ होना चाहिए।

About Us

Halat-e-India is the leading news agencey from Haridwar, Uttrakhand. It working in all over Uttrakhand and near by states UttarPradesh, Punjab, Haryana, Delhi, Himachal Pradesh. Reporters of Halat-e-India are very dedicated to their work.

Important Links