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भारत को ऐसे बनाएं विकसित राष्ट्र

वर्षा जल संरक्षण है वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता :: हिमालय के तराई क्षेत्र में बनाए जाएं बड़े-बड़े जलाशय :: जलाशयों से नहरों के रूप में हो पूरे देश में सिंचाई की व्यवस्था :: नहरों की दोनों पटरियों को वन वे ट्रैफिक के रूप में यातायात के लिए किया जाए प्रयुक्त :: सड़़क और नहर संयुक्त रूप से मिलकर बनेगी भारत की भाग्य रेखाएं :: धर्म और जाति की राजनीति के माध्यम से देश और समाज को बर्बाद करने वालों को नकार दे भारत की जनता :: आजादी से अब तक सत्ता पर काबिज रहे दलों का विकास कार्यों के आधार पर हो दोबारा चयन :: विकास के विपरीत तथा बर्बादी के कगार पर देश को पहुंचाने वालों को नकार दे भारत की जनता।

हिमालय भारत का भाल है जो जड़ी - बूटी, फल और सब्जी सहित सभी खाद्य पदार्थों के उत्पादन का श्रेष्ठ स्थान है। यहां के उत्पाद स्वतः ही आर्गेनिक और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं । हमारे देश के दो राज्य उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश पर्वतीय राज्य के रूप में जाने जाते हैं , हिमाचल प्रदेश ने तो फल उत्पादन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना ली थी लेकिन उत्तराखंड में अभी वह जागरूकता नहीं आई है। भारत का जम्मू कश्मीर भी फल और ड्राई फ्रूट के उत्पादन में अपनी अलग पहचान रखता है। इस लेख के माध्यम से मैं उत्तराखंड सरकार से आग्रह करता हूं कि देवभूमि हिमालय की अद्भुत उर्वरा शक्ति वाली प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि उन्नयन से संबंधित छोटी-छोटी योजनाएं लागू करे ताकि स्वरोजगार के साथ ही संपूर्ण राष्ट्र के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके। जीवन में उपयोगी संजीवनी बूटी जैसी अद्भुत और चमत्कारी औषधियों के उत्पादन वाला यह राज्य ऐसी उर्वरा शक्ति से परिपूर्ण है कि यहां के उत्पाद ही नहीं जलवायु भी इतनी जीवनोपयोगी होती है कि असाध्य रोगी को प्रवास कराने मात्र से वह स्वस्थ हो जाता है। हिमालय का वर्षा जल प्रबंधन आज समय की बहुत बड़ी आवश्यकता है। हिमालय की वनस्पति, पत्थरों एवं जड़ी- बूटियां के संपर्क से आने वाला वर्षा का जल स्वयं में अमृत तुल्य होता है और हिमालय के सुरक्षित वर्षा जल को यदि सिंचाई के रूप में प्रयोग किया जाए तो मैदानी क्षेत्र में फसलों के उत्पादन में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किए बिना ही अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं दोनों परिक्षेत्रों में पर्वतीय क्षेत्रों में छोटे-छोटे बांध बनाकर वर्षा जल का संचय किया जा सकता है, यदि हमारे वैज्ञानिक या तथाकथित साधु- संत यदि वनस्पति प्रधान पर्वत को कच्चा पहाड़ बता कर विनाशक होने का तर्क देते हैं तो भी राज्य के तराई क्षेत्र (पहाड़ और मैदान के बीच का क्षेत्र) में वर्षा जल संचय करने की अपार संभावनाएं हैं और यदि केंद्र सरकार उत्तराखंड में इस योजना पर कार्य करे तो उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि निकटवर्ती हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश तथा बिहार को भी कृषि उत्पादन का इतना बड़ा हब बनाया जा सकता है कि भारत विश्व की खाद्य समस्या के समाधान का सबसे बड़ा देश बन सकता है। सिंचाई के अभाव में हमारे देश का आज भी बहुत बड़ा कृषि क्षेत्र अनुपयोगी के रूप में रिक्त पड़ा है। मेरा उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड सरकारों से आग्रह है कि वे केंद्र सरकार को ऐसे प्रस्ताव बनाकर भेजें और केंद्र सरकार उन योजनाओं को कार्य रूप में परिणित करे। हमारी केंद्र तथा अनेकों राज्यों की सरकारें भारी भरकम विदेशी धन कर्ज पर लेकर फोरलेन और सिक्स लेन एक्सप्रेस वे बनवा रही हैं जिससे देश की जनता की आय न बढ़कर केवल कर्ज बढ़ रहा है। यदि केंद्र सरकार अपनी इसी परियोजना में थोड़ा सा संशोधन कर ले तो भारत विश्व का नंबर वन विकसित राष्ट्र बन सकता है। सरकार जो फोरलेन एवं सिक्स लेन हाईवे के लिए देश की वेषकीमती तथा उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण कर रही है उससे देश की कृषि उपज समाप्त हो रही है। कृषि का बहुत बड़ा क्षेत्रफल समाप्त हो रहा है तथा तीव्र गति से दौड़ते वाहनों से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। केंद्र सरकार को चाहिए कि इसी अधिग्रहित भूमि के मध्य भाग में पहाड़ों तथा मैदानी क्षेत्रों में संग्रहित किए गए वर्षाजल को नहर के रूप में उपलब्ध कराया जाए और इसी नहर की दोनों पटरी बाई तथा दाईं पटरी को डबल लेन बनाकर हैवी तथा लाइट व्हीकल के लिए वन वे ट्रैफिक के रूप में इस्तेमाल किया जाए । इस महत्वाकांक्षी परियोजना से न केवल यातायात की सुविधा सुलभ होगी बल्कि संपूर्ण राष्ट्र में सिंचाई के अभाव में खाली पड़ी हजारों एकड़ जमीन उपजाऊ बनाकर सोना उगलेगी, लेकिन अफसोस है कि वर्तमान राजनीति पर जो एक दूसरे को नीचा दिखाने में सरकारी धन (जनता के धन) का दुरुपयोग कर रहे हैं ।अब जनता को स्वयं भी जागरूक होना होगा, सरकारों की नीति और नियति के आधार पर फैसला जनता को लेना होगा । भारत की जनता जब तक स्वविवेक से कार्य नहीं करेगी तब तक देश में राजनेता ऐसे ही आपसी भिड़ंत और एक दूसरे की बुराई कर देश का समय बर्बाद करते रहेंगे । जागो भारत, जागो!

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