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आयुष- ऊर्जा प्रदेश

उत्तराखंड में है भारत का सिरमौर बनने की क्षमता:: हिमालय पर्वत की जलवायु मानव स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम:: उत्तराखंड के उत्पादों की गुणवत्ता मैदान के जैविक उत्पादों से भी उत्तम:: छोटे-छोटे बांध बनाकर किया जा सकता है वर्षा जल का सदुपयोग:: जल जीवन मिशन के तहत वर्षा जल का संचय हो तो 4 राज्यों का भविष्य होगा उज्जवल:: उत्तराखंड में जड़ी-बूटी का उत्पादन कर संपूर्ण विश्व को प्रदान कर सकते हैं आरोग्य:: हिमालय पर्वत पर बने अस्पतालों से ही होगा असाध्य रोगों का उपचार।

देवभूमि उत्तराखंड भारत का अद्वितीय प्रदेश है, यहां विकास की अपार संभावनाओं के साथ ही भारत का सिरमौर बनने की भी क्षमता है। नया राज्य बनने के बाद या तो पहली निर्वाचित सरकार ने काम किया, या फिर वर्तमान सरकार में विकास का वातावरण बनता नजर आ रहा है। अंतर सिर्फ इतना है कि पहली निर्वाचित सरकार ने राज्य के मैदानी भागों का औद्योगिकरण किया तो वर्तमान सरकार सुदूरवर्ती पर्वतीय क्षेत्र में विकास का वातावरण बना रही है। हिमालय की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पहाड़ पर कोई भारी उद्योग नहीं लगाया जा सकता, लेकिन कुटीर उद्योगों का इतना स्कोप है कि उत्तराखंड राज्य संपूर्ण भारतवर्ष ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बना सकता है। हिमालय पर्वत की जलवायु मानव स्वास्थ्य के लिए अतिउत्तम है, यहां का न केवल रहन-सहन बल्कि उत्पाद विशेष रूप से फल, सब्जी ,अनाज और जड़ी - बूटी का उत्पादन अपनी गुणवत्ता के लिए अलग पहचान रखता है। हमारे देश में आयी हरित क्रांति के बाद अंधाधुंध रासायनिक खादों का प्रयोग हुआ जिससे खाद्यान्न उत्पादन तो बढ़ा लेकिन गुणवत्ता दिन प्रतिदिन इतनी गिरती गई की सभी अनाज, सब्जियां और फल इतने जहरीले हो गए कि आज भारत मधुमेह का केंद्र और कैंसर तथा हृदय आघात का विकासशील देश बनता जा रहा है । मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी कम हो गई की दवाइयों ने भी असर करना कम कर दिया है ।इन सब का कारण हाइब्रिड अनाज और कीटनाशकों के छिड़काव वाली सब्जियां हैं ।भारत सरकार 2023 को मिलेटवर्ष के रूप में मना रही है , तो जैविक खेती को भी पूरा प्रोत्साहन दे रही है। देश के मैदानी राज्यों के किसानों को बड़ी मात्रा में रासायनिक खाद और कीटनाशक डालकर प्रति एकड़ कम से कम 50 कुंटल अनाज प्रति वर्ष लेने की आदत पड़ गई है, इसी लालच में हमारा खान-पान जहरीला बन गया जिससे नाना प्रकार की बीमारियां जन्म ले रही हैं। समय रहते यदि इसे नहीं रोका गया तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता गिरने से क्षीण हुई रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण विभिन्न बीमारियों की रोकथाम में दवाइयां असफल हो रही हैं ,ऐसी स्थिति में हिमालय का वातावरण ही एकमात्र विकल्प है जो असमय काल के गाल में समा रही मानवता की स्वास्थ्य रक्षा कर सकता है। राज्य सरकार को चाहिए कि उत्तराखंड में मुख्य मार्गों से जुड़े प्रमुख स्थानों पर अस्पतालों का निर्माण करे और फल ,सब्जी तथा अनाजों का पुनः उत्पादन प्रारंभ कराये ताकि शुद्ध भोजन और शुद्ध जलवायु प्रदान कर असाध्य रोगों का उपचार संभव हो सके । उत्तराखंड की धरती मोटे अनाज, फल तथा सब्जियों के अलावा जड़ी-बूटी उत्पादन का इतना बड़ा हब बन जाएगा कि उत्तराखंड संपूर्ण भारतवर्ष को आरोग्य प्रदान कर सकता है। तीर्थाटन और पर्यटन के साथ ही सरकार को मानव स्वास्थ्य को उत्तम बनाने पर कार्य प्रारंभ कर देना चाहिए। अन्न और जल मानव जीवन की मूल आवश्यकताएं होती हैं, उत्तराखंड में वर्षा जल का स्तर पूरे देश की तुलना में अधिक है। उत्तराखंड राज्य न तो अपने पानी का सदुपयोग कर पाता है और न ही जवानी का । इस राज्य का पानी और जवानी दोनों ही दूसरों के काम आती हैं । राज्य सरकार को चाहिए कि युवा शक्ति का प्रयोग करे और बड़ी संख्या में बर्बाद हो रहे वर्षा जल का सदुपयोग कर राज्य को ऊर्जा प्रदेश बना दे ताकि अकेला उत्तराखंड संपूर्ण भारतवर्ष को उसके उपयोग की बिजली की आपूर्ति कर सके। बड़ी मात्रा में बर्बाद हो रहे वर्षा जल को एकत्र कर न केवल विद्युत उत्पादन बढाया जा सकता है बल्कि निकटवर्ती राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को सिंचाई के लिए जलापूर्ति भी की जा सकती है। अकेला उत्तराखंड यूपी,हरियाणा,बिहार मध्य प्रदेश और राजस्थान की किस्मत चमका सकता है । इस लेख के माध्यम से मेरा राज्य सरकार से आग्रह है कि ऊर्जा एवं आयुष प्रदेश बनाने पर इसी वर्ष से कार्य प्रारंभ कर देना चाहिए।

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