कृषि प्रधान देश को विकसित करने के लिए कृषि एवं कृषकों का विकास आवश्यक :: देश को विकसित करने के लिए 70% आवादी का विकास जरूरी :: सफेद हाथी बनी योजनाओं में निपटाया जा रहा देश का बजट :: अनुदान और खैरात को समाप्त कर देना होगा ब्याज मुक्त ऋण :: किसानों और नौजवानों की खुशहाली बनेगी विकसित भारत का आधार :: बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर कार्य करे सरकार ।
बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारणों को रोक कर भवन निर्माण की नई तकनीक का विकास ही समय की आवश्यकता है। भवन निर्माण की वर्तमान प्रणाली जिसमें ईट भट्टों से पकाई गई ईट न केवल महंगी पड़ती है बल्कि उपयोगी भूमि का विनाश हो रहा है और ईट पकाने के लिए प्रयोग की जाने वाली लकड़ी, कोयला इत्यादि जलाने से ग्लोबल वार्मिंग और अधिक बढ़ रही है । बढ़ते वातानुकूलित चार पहिया वाहन और ईंट भट्टों से वायु प्रदूषण में बेतहाशा वृद्धि हो रही है, जिससे न केवल मानवजाति बल्कि वनस्पति के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। केंद्र तथा राज्य सरकारों को इस तरफ तुरंत ध्यान देना चाहिए। ईट और कंक्रीट के भवनो का निर्माण केवल भारत तथा कुछ अन्य देशों में ही हो रहा है जबकि विश्व के अनेक विकसित देशों ने भवन निर्माण की तकनीकी बदल दी है । भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाने के लिए भवन निर्माण की नई तकनीकि पर काम करना होगा। केंद्र तथा राज्य सरकारों को सरकारी तथा सरकार की सहायता से बनने वाले भवनों पर यह नई तकनीकि लागू कर देनी चाहिए ताकि इसका अनुसरण अन्य भवन निर्माता भी कर सकें। तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन से मानव जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, गर्मियों में अधिक गर्मी, सर्दियों में अधिक सर्दी तथा वर्षा ऋतु में एकाएक अधिक वर्षा होने से जन-धन सहित राष्ट्रीय संपत्तियों का काफी नुकसान हो रहा है । बदलते समय के साथ सरकार को भी अपनी योजनाएं बदल देनी चाहिए । वर्षा जल संचित करने के लिए तथा अनुपजाऊ भूमि पर बड़े-बड़े जलाशय बनाना तथा एक्सप्रेसवे और डबल लाइन हाईवे के मध्य सिंचाई हेतु पक्की नहरें बनाने संबंधी निवेदन मैं इससे पूर्व कर चुका हूं । नहरें और सड़कें ही विकसित भारत की भाग्य रेखाएं बनेगी। सिंचाई के लिए वर्षा जल और यातायात के लिए सड़कों का जब तक विकास नहीं होगा भारत की 70% आवादी विकास से अछूती रहेगी । भारत की 60 से 70 प्रतिशत आवादी आज भी गांव में निवास करती है ,जो कृषि तथा कृषि आधारित उद्योगों पर आधारित है। यदि हमारी सरकार वास्तव में भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में ले जाना चाहती है तो उसे कृषि और कृषकों के विकास की योजनाओं पर कार्य करना होगा। मेरा भारत सरकार से अनुरोध है कि कृषि एवं ग्राम विकास मंत्रालय का बजट बढ़ाकर इन सभी विकासपरक योजनाओं को धरातल पर उतरा जाए। सरकार की किसी भी वर्तमान योजना की आलोचना करना मेरा कतई उद्देश्य नहीं है, लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा संचालित कई योजनाएं सफेद हाथी हैं और भ्रष्टाचार की शिकार हो रही है इन योजनाओं से न तो देश में विकास हो रहा न हीं देश की जनता लाभान्वित हो रही है । सरकार की इन विकास परक योजनाओं का बड़े स्तर पर बंदर बांट सरकारी मशीनरी कर रही है, यही कारण है कि हर कोई नवयुवक केवल और केवल सरकारी नौकरी की तरफ ही आकर्षित हो रहा है। आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करने के लिए भारत के नवयुवकों को आत्मनिर्भर बनाना होगा और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किसान को भीख और अनुदान के स्थान पर ब्याज रहित कर्ज देकर ग्रामीण क्षेत्र का औद्योगिकरण और कुटीर उद्योगों के माध्यम से संपन्न बनाना होगा तभी विकसित भारत का सपना साकार होगा ।
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