बच्चों की पहली गुरु उसकी मां होती है:: संस्कारित शिक्षा से सकारात्मक सोच विकसित होती है:: बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं और बचपन रुपी बुनियाद मजबूत हो तो बनाया जा सकता है शिक्षा का मजबूत भवन:: शिक्षा जीवन की मूल आवश्यकता है, जो गुरु से ही प्राप्त होती है:: बचपन मजबूत हो तो जीवन सफल हो जाता है
श्यामपुर (ऋषिकेश) रीडिंग रेनबोज स्कूल श्यामपुर के छात्र -छात्राओं ने मातृ दिवस के अवसर पर माताओं की महत्ता को गौरवान्वित करते हुए स्नेह पत्र बनाए तथा ममतामयी कविताओं के माध्यम से अपने प्रथम गुरु माता का भावपूर्ण स्मरण किया। स्कूल की संस्थापक श्रीमती लक्ष्मी पोखरियाल ने सभी बच्चों के सुखमय जीवन तथा उज्जवल भविष्य की कामनाएं करते हुए मातृ दिवस की सुंदर प्रस्तुति के लिए सभी अध्यापिकाओं को साधुवाद दिया। कार्यक्रम को अध्यक्षीय पद से संबोधित करते हुए स्कूल की संस्थापक श्रीमती लक्ष्मी पोखरियाल ने कहा कि मां ही बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है और गुरु भी मातृशक्ति ही हो तो बच्चों की शैक्षिक एवं संस्कारित बुनियाद इतनी मजबूत हो जाती है कि बच्चे उच्च शिक्षा के बाद भी शेष जीवन संस्कार और संस्कृति के साथ व्यतीत करते हैं । उन्होंने नन्हे-मुन्ने द्वारा बनाए गए स्नेह पत्रों तथा सुंदर कविताओं की तैयारी के लिए सभी अध्यापिकाओं द्वारा कराई गई तैयारी की सराहना करते हुए कहा कि प्रारंभिक शिक्षा के साथ बच्चों में परिवार और समाज के प्रति प्यार की भावना को संबल प्रदान करने की आवश्यकता होती है, जो सकारात्मक सोच का विकास करती है । उन्होंने सभी बच्चों को प्रोत्साहन स्वरूप आशीर्वाद रूपी उपहारों के साथ सम्मानित भी किया
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