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गंगा की भक्ति

गंगा कोई साधारण नदी नहीं बल्कि भारत की भाग्य रेखा है गंगोत्री गोमुख से गंगासागर तक जितने शहर गंगा के दाएं तट पर बसे हैं सभी संपन्न एवं विशिष्ट हैं गंगा का पावन जल व्यक्ति को अमरत्व प्रदान करता है गंगा भक्ति आश्रम में होती है मां गंगा की सच्ची भक्ति

हरिद्वार 30 मई ।श्रीगंगा भक्ति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी कमलेशानंद सरस्वतीजी महाराज ने कहा है कि गंगा सनातन धर्म का आधार और भारत की भाग्य रेखा है जो विश्व का कल्याण करने के लिए ही स्वर्ग से धरा धाम पर अवतरित हुई। मां गंगा के अवतरण दिवस और गंगा दशहरा पर जो श्रद्धालु मां गंगा के पावन जल का स्पर्श और आचमन कर लेता है उसके शेष जीवन की समस्त दुश्वारियां दूर हो जाती हैं। वे आज खड़खड़ी बाईपास मार्ग स्थित श्रीगंगा भक्ति आश्रम के 42वें वार्षिकोत्सव को अध्यक्षीय पद से संबोधित कर रहे थे। मां गंगा के अवतरण एवं गंगा स्नान का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर ही मां गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल से निकलकर भगवान शिव की जटाओं से होती हुई हिमालय पर्वत पर अवतरित हुई। मां गंगा की उपयोगिता का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा की मां गंगा ने न केवल राजा भगीरथ के पुरखों को तारा बल्कि आज भी जो व्यक्ति मां गंगा के पावन जल का स्पर्श कर लेता है उसके जाने अनजाने में किए गए सभी पापदोष मुक्त हो जाते हैं। गंगा भक्ति आश्रम के संस्थापक भक्ति पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन सदगुरुदेव स्वामी राघवानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा प्रारंभ किए गए गंगा सेवा प्रकल्पों को और विस्तारित करने का संकल्प लेते हुए उन्होंने सभी संत महापुरुषों एवं श्रद्धालुओं को मां गंगा के पावन जल से निर्मित भोजन प्रसाद से सभी का अंतःकरण पवित्र किया। गंगा भक्ति का भोजन प्रसाद ग्रहण करने वालों में प्रमुख थे पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी सत्यव्रतानंद सरस्वती, महंत दुर्गादास ,महंत रघुवीर दास, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, स्वामी शिवानंद , स्वामी निर्भयानंद, स्वामी कृष्णानंद तथा महंत प्रेमानंद शास्त्री सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष एवं श्रद्धालु भक्त गंगा भक्ति के प्रसाद एवं प्रसंगों से अभिभूत हुए।

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