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कलयुग जाएगा सतयुग आएगा

जब धरती पर अधर्म और अन्याय बढ़ता है तो प्रकृति अपना स्वरूप बदल देती है:: सामाजिक रिश्ते समाप्त होने पर होता है युग का अंत:: प्रकृति से छेड़छाड़ के परिणाम होते हैं भयंकर:: स्वार्थ बढ़ते ही श्रद्धा और स्नेह समाप्त हो जाते हैं:: सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वाले हो जाते हैं अमर. ।

हरिद्वार ।श्रीगीता विज्ञान आश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वतीजी महाराज ने कहा है कि कलयुग का प्रभाव चरम पर है, मानवता समाप्त हो रही है और दानवता की प्रवृत्ति बढ़ रही है, पारिवारिक रिश्तों का ह्रास हो रहा है तथा स्वार्थ परता बढ़ रही है । वे आज विष्णु गार्डन स्थित श्रीगीता विज्ञान आश्रम में हरियाली तीज के अवसर पर आए भक्तों को वर्तमान परिवेश में गीता के सैद्धांतिक स्वरूप से परिभाषित कर रहे थे। गीता के वैज्ञानिक शोधों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा समय एवं युग दोनों परिवर्तनशील हैं, लेकिन सृष्टि का विधान है कि युग परिवर्तन से पूर्व जलवायु परिवर्तन होता है और जलवायु के बदलने से व्यक्ति की मानसिक प्रवृत्तियां बदल जाती हैं। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है उसी का प्रभाव है कि परिवार और समाज से अपनत्व की भावना समाप्त हो रही है और स्वार्थ बढ़ रहा है । सनातन धर्म को पर्वों का गुलदस्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि सर्वाधिक पर्वों की आवृत्ति सनातन धर्म में ही है और धार्मिक पर्वों से आपसी सौहार्द बढ़ता है तथा भाईचारा मजबूत होता है जिससे राष्ट्र की एकता एवं अखंडता मजबूत होती है। महोत्सव में मातृशक्ति द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के प्रतिभागियों को आशीर्वाद देते हुए शतायु संत ने कहा कि परिवार समाज और राष्ट्र की प्रगति में मातृशक्ति का बड़ा योगदान है । श्रीगीता विज्ञान आश्रम ट्रस्ट द्वारा धार्मिक पर्वों को मनाने के लिए बनाई गई व्यवस्था की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को आस्था एवं श्रद्धा के साथ भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा । इस अवसर पर दिल्ली, राजस्थान, पंजाब तथा हरियाणा से आए भक्तों के अतिरिक्त बड़ी मात्रा में स्थानीय श्रद्धालु उपस्थित थे।

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