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भाजपा का ओबीसी कार्ड

मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर उत्तर प्रदेश- बिहार वालों को दी भाजपा ने बड़ी चेतावनी ::यूपी में भाजपा को किसी बड़े यादव चेहरे की तलाश:: बिहार एवं उत्तर प्रदेश को किसी भी कीमत पर जीतना चाहती है भाजपा:: केशव मौर्य और उनकी बिरादरी में इतना दम नहीं कि वह ले सकें सपा से लोहा ::2024 में भी असंभव को संभव बनाएगी बीजेपी ?

भारतीय जनता पार्टी ने 2023 के पांच राज्यों में से तीन बड़े राज्यों का चुनाव जीतने और तीन भिन्न-भिन्न वर्गों के मुख्यमंत्री बनाने के बाद न केवल विपक्ष बल्कि सत्ता पक्ष को भी चौंका दिया है। तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के रूप में नए-नए चेहरे उतर कर भाजपा ने एक तीर से कई शिकार किए हैं। बिहार सरकार द्वारा जातीय जनगणना के आंकड़े घोषित करने और उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जाति के बाहुल्य पर अपना अधिकार जमाने के लिए ही मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया जो न केवल अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं बल्कि यादव जाति से होने के कारण बिहार के तेजस्वी यादव एवं उत्तर प्रदेश के सपा प्रमुख अखिलेश यादव की मुश्किलें तेज कर दी हैं। भाजपा ने जिस प्रकार तीनों मुख्यमंत्री अलग-अलग वर्ग के घोषित कर यह सिद्ध कर दिया कि वह सभी का साथ लेकर सभी का विकास करने की राजनीति करती है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में चलती भले ही केवल गुजरात लाबी की हो लेकिन सर्वे और परामर्श व्यापक स्तर पर कराया जाता है। भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव को फतह करने की जो योजनाएं बनाई हैं उनमें अन्य पिछड़ा वर्ग को राजनीति की मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया है जिससे सपा और राजद के पसीने छूट रहे हैं । भाजपा उत्तर प्रदेश में पुनः केशव मौर्य पर दांव लगा रही है लेकिन योगी आदित्यनाथ के सामने केशव मौर्य केंद्र का पूरा हाथ पीठ पर होने के बाद भी गुजरात लाबी का सपना साकार करवाने की स्थिति में नहीं हैं। बीजेपी राजस्थान में भी एक संत जो अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने अपने पत्ते खोलकर गुजरात लाबी को बाबा बालकनाथ वाला निर्णय पलटने पर मजबूर कर दिया। गुजरात लाबी किसी भी कीमत पर उत्तर प्रदेश में अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहती है, लेकिन योगी आदित्यनाथ यूपी पर अपना वर्चस्व कायम रखने का कोई भी दांव चूकना नहीं चाहते हैं। भाजपा हिंदुत्व के एजेंडे को राजनीति के शीर्ष पर रखना चाहती है इसीलिए राजस्थान में बाबा बालकनाथ को मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी। पूरा मसौदा लगभग तैयार था लेकिन योगी आदित्यनाथ से एक बड़ी गलती यह हो गई की वे खुलकर बाबा बालकनाथ के पक्ष में आ गए । गुजरात लाबी को समझने में कतई देर नहीं लगी कि यदि उसने बाबा बालकनाथ को राजस्थान की कमान सौंप दी तो यूपी और राजस्थान मिलकर गुजरात पर भारी पड़ सकते हैं। 2024 की फतेह के लिए भाजपा का पूरा जोर अ्व बिहार और उत्तर प्रदेश पर है , दोनों ही राज्य यादव बाहुल्य हैं । बिहार में तो भाजपा के पास एक सशक्त यादव नेता है जिसे बिहार विधानसभा चुनाव में उतारा जायेगा लेकिन यूपी में एक ऐसे यादव नेता की तलाश है जो न केवल सपा को टक्कर दे सके बल्कि उत्तर प्रदेश की जातिगत राजनीति का अच्छा ज्ञाता हो। जहां तक केशव प्रसाद मौर्य का सवाल है वे न तो सपा लाबी को शिकस्त ही दे सकते हैं और न ही उनकी बिरादरी इतनी मजबूत है कि वह सपाइयों से टक्कर ले सके, इसका प्रमाण पिछले विधानसभा चुनाव में मिल चुका है। पूरे देश की जनता 2024 की चुनावी राजनीति पर टकटकी लगाए बैठी है कि लोकसभा का यह चुनाव किसके पक्ष में जाएगा, या तो भाजपा विजेता बनकर उभरेगी या फिर भाजपा के सहयोग से कोई अन्य नेता केंद्र की राजनीति पर कायम हो सकता है। फिलहाल 2024 में भी भाजपा सत्ता से बाहर होने वाली नहीं है। भले ही किसी अन्य के साथ गठबंधन कर ले लेकिन सरकार उसी की बनती नजर आ रही है ,इसका आकलन सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि विपक्ष में एकता का अभाव है।

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