Halat-E-India

मानवता बचाओ

वर्षा जल संचय एवं जैविक कृषि वर्तमान समय की आवश्यकता है :: उत्तर प्रदेश की नदियों पर छोटे-छोटे बांध बनाकर बड़ी मात्रा में वर्षा जल संचित किया जा सकता है:: कृषि को समय रहते जैविक नहीं बनाया गया तो मानवता के विनाश को रोका नहीं जा सकता है:: रासायनिक खाद और बोरिंग के पानी से कृषि इतनी महंगी हो गई कि किसान गरीबी के कगार पर है:: सरकार कृषि सुधारों पर तुरंत ध्यान दे।

जलवायु परिवर्तन एवं बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए केंद्र तथा राज्य सरकारों को चाहिए कि वह ऐसी योजनाओं को धरातल पर उतारें कि भारतीय कृषि विश्व में अपना अलग स्थान बना सके। हालांकि केंद्र एवं राज्यों की सरकारें कृषि उन्नयन के क्षेत्र में अनेकों कल्याणकारी योजनाओं का संचालन कर रही हैं, परंतु सरकारी मशीनरी अपने दायित्व का निर्वाह निष्ठा एवं ईमानदारी से नहीं कर रही है, परिणाम स्वरुप कागजी योजनाओं का प्रभाव राष्ट्र की प्रगति में परिरक्षित नहीं हो रहा है। कृषि के सामने आज अनेकों समस्याएं हैं, वे समस्याएं न केवल किसान की बल्कि संपूर्ण मानवता की हैं। भूगर्भ जल का बड़ी मात्रा में दोहन और रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग भविष्य के लिए बहुत बड़ा संकट बनने वाला है। पानी के अंधाधुंध प्रयोग से कई क्षेत्रों में जमीन के अंदर का वाटर लेवल तेजी से नीचे गिर रहा है, तो रासायनिक खादों के प्रयोग से न केवल कृषि भूमि बंजर हो रही है बल्कि कृषि उत्पाद इतने विशाक्त हो रहे हैं कि पूरी मानवता का जीवन ही बीमारियों से घिरता चला जा रहा है। सरकार चाहे कितने ही अस्पताल और एम्स बनवा ले, मानवता की रक्षा नहीं कर पाएगी । बढ़़ती बीमारियों के सामने संसाधन सदैव कम पड़़ जाते हैं, कोरोनाकाल में चिकित्सा और ऑक्सीजन का अभाव इसका जीता जागता प्रमाण है। मानवता का संरक्षण सरकार का दायित्व होता है और जनजीवन की रक्षा तभी हो सकती है जब आहार शुद्धि हो, जो केवल और केवल जैविक कृषि के माध्यम से ही संभव है। संपूर्ण कृषि क्षेत्र को एक साथ ऑर्गेनिक फार्मिंग में नहीं बदला जा सकता क्योंकि कृषि उपज को जब रासायनिक उत्पादन से जैविक उत्पादन में बदला जाता है तो पैदावार में कमी आती है, लेकिन इस प्रयोग को 25% से प्रारंभ किया जा सकता है। कृषि ही नहीं मानवता के सामने दूसरी सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है, वर्तमान में खेतों में बोरिंग कराकर पंप सेटों के माध्यम से बड़ी मात्रा में भूगर्भ जल का दोहन किया जाता है और पेयजल को जब सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जाता है तब फसलों को उर्वरकों की अधिक आवश्यकता होती है, जबकि वर्षा जल में बड़ी मात्रा में ऐसे खनिज लवण विद्यमान होते हैं जो फसलों में उर्वरक का भी काम करते हैं। संपूर्ण भारतवर्ष की बात न करते हुए मैं यहां भारत के सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश की बात करता हूं, जिसमें अधिकांश नहरें और माइनर जल विहीन हो गई हैं, परिणाम स्वरुप उन नहरों के दोनों किनारे अतिक्रमित हो गए हैं। उत्तर प्रदेश के पास कई नदियां ऐसी हैं जिनको वर्षा जल संचय करने का माध्यम बनाया जा सकता है। राज्य सरकार के इस प्रयोग से न केवल सिंचाई की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी बल्कि वर्षा ऋतु में बाढ़ की स्थिति पर भी काबू पाया जा सकता है। इसके साथ ही जिन क्षेत्रों में नहरें नहीं है वहां तालाब एवं पोखरों की खुदाई करवा कर वर्षा जल को संचित किया जा सकता है। राज्य में मनरेगा के तहत जिन तालाबों को विकसित दिखाया गया है उनमें अधिकांश कागजी हैं। उक्त तालाबों पर उद्घाटनकर्ता इत्यादि के बोर्ड तो लगे हैं लेकिन वे जल विहीन हैं और उनकी जल संचय की क्षमता भी नहीं है। सरकारी मशीनरी को इसके प्रति उत्तरदायी बनाया जाए और जैविक कृषि तथा जल संचय योजनाओं का क्रियान्वयन धरातल पर उतरा जाए तभी भारत में मानवता की रक्षा हो सकती है, जल भी सुरक्षित रहेगा और जनजीवन भी सुरक्षित होगा, केवल जल संचय योजना एवं जैविक कृषि को बढ़ावा देने मात्र से पूरा जनजीवन सुरक्षित किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार यदि नव वर्ष 2024 के प्रारंभ में ही इन योजनाओं का शुभारंभ कर दे और नए वित्तीय वर्ष में इन पर कार्य प्रारंभ हो जाए तो राज्य सरकार की तरफ से प्रदेशवासियों को इससे बड़ा और कोई तोहफा नहीं हो सकता है।

About Us

Halat-e-India is the leading news agencey from Haridwar, Uttrakhand. It working in all over Uttrakhand and near by states UttarPradesh, Punjab, Haryana, Delhi, Himachal Pradesh. Reporters of Halat-e-India are very dedicated to their work.

Important Links